Jhuki hui phoolo bhari daal - 1 in Hindi Moral Stories by Neelam Kulshreshtha books and stories PDF | झुकी हुई फूलों भरी डाल - 1

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झुकी हुई फूलों भरी डाल - 1

झुकी हुई फूलों भरी डाल

[कहानी संग्रह ]

नीलम कुलश्रेष्ठ

***

समर्पण

परम आदरणीय महादेवी वर्मा जी को

[ 'झुकी हुई फूलों भरी डाल'कहानी ' धर्मयुग 'ने

उनके होली के जन्मदिन पर उन्हें रंग स्मरण

करते हुये प्रकाशित की थी ]

***

1 - कसकता असोनिया

"बाबा का सपना पूरा करना है, घर के लिए ख़ूब रुपया कमाना है।"सांवले रंग की मीरा आत्मविश्वास भरी सामने खड़ी कह रही थी। उफ़ रुपया---इसके लिए वह अपने घर से हज़ारों मील दूर पड़ी है. मीरा ही क्यों, दार्जिलिंग की सीमा और सदीप जिसे डांसिंग रूम में अपने लम्बे बालों को सिर पर एक तरफ़ झुण्ड की तरह बिलकुल नए स्टायल में डाले गिटार पर गाते देखा था. वह भी तो रुपये के लिये इस क्लब की नौकरी कर रहा है.

इस क्लब का ये रिज़ॉर्ट रिनोवेशन के कारण लगभग सूना पड़ा था। शाम को वे वहां पहुंचे थे। पूछा जा सकता है रिज़ॉर्ट की ऐसी हालत थी तो क्यों पहुंचे थे ? दरअसल इस क्लब की हॉलीडेज़ के वॉउचर ख़त्म हो रहे थे तो ही शहर में दो दिन `रिलेक्स `करने [आज के नए मुहावरे केअनुसार ]जा पहुंचे थे। कमरों में जाकर चाय पीकर, आराम कर ऐसे ही टहलते डांसिंग रूम में जा पहुंचे थे। एक अँधेरे से कोने में अपने ऊपर पड़ती स्पॉट लाइट के घेरे में सदीप गिटार बजाता कोई अंग्रेज़ी गाना `आई लव शेप ऑफ़ यू----` गा रहा था। वह अपने हिलते शरीर से ताल देता तो उसके बालों का झुण्ड भी झूमने लगता था। उस सजे धजे हॉल के बीच में रक्खे एल शेप सोफ़े पर एक जोड़ा बैठा अपने ड्रिंक की चुस्कियां ले रहा था. पीछे के सोफ़े पर आपस में बात करते दो दोस्त सारे माहौल से दूर अपनी बातों में ही गुम थे।

तभी रिसेप्शन पर देखी वह मध्यम कद की सांवली लड़की अंदर आ गई। सदीप का गाना ख़त्म हुआ था। वह झुककर उससे कुछ कहने लगी। वह उत्साह में गिटार बजाकर गाना गाने लगा,"हायो रब्बा --हायो रब्बा।"

वह उसके पास आकर उसका हाथ पकड़कर उसे उठाने लगी, `मैडम !आई एम मीरा। लेट`स डांस।"

"ओ नो !"यहां का फीका माहौल में उसका उठने का मन नहीं था लेकिन इस प्यार भरी ज़बरदस्ती से उसे उठना ही पड़ा। एक एक करके उसने सबको खींच लिया। वे सब उसके कहने से डांस फ्लोर पर जाकर बेमन ठुमके लगाने लगे क्योंकि रात को कुछ करने को भी नहीं था मीरा बांहे फैलाकर, आगे पीछे होकर झूमझूम कर डांस कर रही थी। दूसरा गाना शुरू हो गया था,"सैयाँ जी के साथ मैंने ब्रेक अप कर लिया ---"लेकिन उसका चेहरा वही सपाट भावनाशून्य नज़र आ रहा था ---बदरंग आँखों से ड्यूटी बजाता।

इस बोरिंग माहौल में कब तक डांस करते ?वे कोल्ड ड्रिंक का ऑर्डर देते सोफ़े पर आ बैठे।

"थेंक्यू सर ---थेंक यूं मेम। जो टूरिस्ट इदर आता है, लरका लोग, बड़ा लोग सब ग्रुप को मैं डांस करा देती है।"कहती फिर वह हॉल से गायब गई।

उन्होंने कोल्ड ड्रिंक पीते हुए सदीप से अरिजीत के गाने गाने का अनुरोध किया कि कुछ तो बोरियत दूर हो। फिर तो जैसे बहार आ गई"---ख़ामोशियाँ तेरी मेरी ---,"चन्ना मेरे आ, मेरे आ -- `तुझे पा लिया है जबसे ---`--`, ` थोड़ी देर बाद वे वहां से उठकर चलने लगे तो रिसेप्शन पर खड़े लड़के ने अनुरोध किया,"प्लीज़ !आप लोग दस मिनट और बैठ जाइये। हमारे हाउस कीपिंग इंचार्ज जॉर्ज मेथ्यु का आज बर्थ डे है। वे केक काटेंगे। सब लोग यहीं आ रहे हैं। `

दस मिनट में चौबीस पच्चीस लोग हॉल में इकक्ठ्ठे हो गए। इतने बड़े रिज़ॉर्ट में पता नहीं कहाँ छिपे थे ? वो दोनों लड़कियां पीछे छिपी हुईं थीं। मैनेजर ने उन्हें इशारा किया,"सीन को कलरफ़ुल बनाने आप लोग आगे आ जाइये।" मीरा जल्दी जल्दी आगे आ गई, उसके पीछे सकुचाती सी एक और लड़की आ गई। केक कटते ही मीरा ने केक की क्रीम लेकर बर्थ डे बॉय के गालों पर लगाकर सीन को और भी कलरफुल बना दिया। ताली बजाकर, केक खाकर ही वे बाहर निकल पाये।

वह रात में डाइनिंग रूम में वहां के छोटी उम्र के बेयरों से खीज गए, बिचारे हल्का सा सिर झुकाकर `यस सर `, `नो सर `या` थेंक यू सर `के अलावा कुछ नहीं बोल पा रहे थे, न हमारी ऑर्डर की डिश समझ पा रहे थे। उसने दूर खड़ी मीरा को इशारे से बुला लिया। वह ऑर्डर बुक व पेन लिए उनकी टेबल के पास मुस्तैद खड़ी हो गई, बिना पूछे ही बताने लगी,"डाइनिंग रूम का ड्यूटीवाला लरका लोग नया है, कर्नाटक का ही छोकरा लोग है. इनको हिंदी नहीं आता, इंग्लिश नहीं आता. आप लोग दिल्ली साइड का है इसलिए सॉरी !मुझे ऑर्डर लेने वास्ते आपके पास पहले ही आ जाना चाहिए था।"

पश्चिमी भारत हो या दक्षिणी इन्हें कुछ पढ़े लिखे हिंदी बोलते लोग हमेशा `दिल्ली `वाले लगते हैं`। उधर उत्तरी भारत में हर दक्षिणी भारत का कोई भी व्यक्ति` मद्रासी `नज़र आता है। ` सब उसे अपनी पसंद का सूप व स्टार्टर बताने लगे। तभी एक गुड़िया सी लगती डांसिंग हॉल में देखी नार्थ ईस्ट की गोरी लड़की ने उनके पास आकर मुस्करा कर कहा,"गुड़ इवनिंग।"सभी ने उसका अभिवादन स्वीकार किया।

मीरा ने ऑर्डर बुक उसे पकड़ा कर कहा,"सीमा !ये ऑर्डर है, तुम किचिन में बता दो। ` `

फिर वह उसके पास आकर धीमे स्वर में कहने लगी,"मैनेजर ने तो इसे हाउस कीपिंग में रख दिया था। अब बोलिये मैडम इतना बड़ा तीन मंज़िल का रिज़ॉर्ट -कितना अलग अलग टूरिस्ट इदर आता है। किस पर भरोसा किया जाए? सीमा अपनी साइड का लरकी है इसलिए मैनेजर को बोल बोल कर इसका हाऊस कीपिंग से ड्यूटी निकलवाया। इदर डाइनिंग हॉल में ड्यूटी रखवाया। कभी हाउस कीपिंग का लरका लोग छुट्टी पर होता है तो हम दोनों एक एक रूम साथ में जाकर ठीक करता है।"

वह क्या कहे बस इतना ही कहती है,"इट `स नाइस लेकिन तुम्हारी आँखें कैसे सूजी हुई हैं?`

" मेम !आपको हम क्या बतायें ? कैसे रोते रोते रात कटती है. जिसके दार्जिलिंग में हज़ार लोगों की आर्मी पड़ी हो, चाहे उसमे दो सौ औरतें भी हों।गोरखालैंड की मांग करने वाले और मिलट्री लोगों में मार काट चलती है। कभी बन्दूंकों की, देसी पिस्तोलों की धान्य धान्य, कभी कोई ख़ुकरी से, कुल्हाड़ी से किसी का सिर काट रहा है. कुछ बदमाश लोग कुछ नहीं कर पाते तो पटाखे फोड़कर ही लोगों को डरा रहे हैं। ऐसे में बाबा लोग की कितनी चिंता होती है। कभी दार्जिलिंग बंद करवा देतें है तो सरकार नेट बंद करवा देती है। अब आप ही बोलो जहां गोलियां चल रहीं हों और घरवालों से मोबाइल पर भी बात ना हो पाए तो जी कितना घबराएगा।"वह खड़े खड़े सुबकने लगी।

उसने अपने पर्स में से रूमाल निकाल कर उसे दिया।उसने आँसु पोंछे और सीमा के ट्रे लाये सूप बाउल्स मेज़ पर लगाने लगी।,"दार्जिलिंग में कहाँ मौत छिपी खड़ी है पता नहीं। मेरे बाबा के दोस्त घर से निकलकर उसी गली के भाजी वाले की दूकान पर खड़े थे कि पता नहीं कहाँ से गोली आई और उनके सिर के आर पार निकल गई।` हमको जी जे एम व जी एन एल एफ़ के लोगों की तरह दार्जिलिंग पर कब्ज़ा नहीं चाहिए, मुझे बस अपनी फ़ेमिली व बाबा लोग की सेफ़्टी चाहिए"फिर उसने एकदम से अपने को सम्भाल लिया, `सॉरी --आप लोग अच्छे से डिनर कीजिये।" शायद वह मुंह धोने बाथरूम में चली गई.

परिवार का किशोर पूछता है,"ये जी जे एम व जी एन एल एफ़ क्या होता है ?"

"जी जे एम मतलब गोरखालैंड जनमत मोर्चा व गोरखा नेशनल लिबरेशन फ़्रंट। ये सब दार्जिलिंग को पश्चिमी बंगाल से अलग कर अपना गोरखालैंड बनाने की मांग कर रहे हैं। पहले तो लोग वहां की गोलीबारी से दार्जिलिंग ही घूमने जाना भूल गए थे। बीच में कुछ शांति हुई, टूरिस्ट जाने लगे लेकिन अब फिर वही उपद्रव चल रहा है।"कहकर वह सोचने लग जाती है कि वे लोग दार्जिलिंग से दूर कितनी शांति से बैठे हैं। एक रिज़ॉर्ट में खिड़की से चांदनी रात में नहाये स्वीमिंग पूल की नीली लहरों को मचलते देख रहें हैं, खिड़की पर लिपटी लताओं को देखकर बहस कर रहे हैं किये असली हैं या प्लास्टिक की।मद्धिम संगीत में सूप की चुस्कियां लेते हुए दो तीन स्टार्टर तंदूरी पनीर व गोभी मन्चूरियन कामाज़ा ले रहे हैं. यदि उन्होंने वहां जन्म लिया होता तो ------? इतनी दूर बंदूकों की धाँय धाँय, पेट्रोल बॉम्ब व पत्थरों की बौछार में फंसा भी उनका अपना भी कोई नहीं है। नहीं तो इस मस्ती के बीच `कील`सा मन में कुछ चुभ रहा होता।

दार्जिलिंग यात्रा का कुछ वर्ष पहले ही लुत्फ़ उठाये, दार्जिलिंग ट्रेन में बैठकर `सपनों की रानी कब आएगी तू ?`या `चक्के पे चक्का `के रास्ते पर चलते हुए, बतासिया लूप के बलखाते मोड़ों का लुत्फ़ उठाये हुए बैठें हैं। तब ट्रेन में कितने खुश हो रहे थे,"कितनी फ़िल्मों में इस ट्रेन को देखा है लेकिन इसमें बैठकर पटरी के सहारे बने मकानों के पास से गुज़रना, हाथ बढ़ाकर दुकानों से कुछ खरीद लो, सड़क पर गुज़रती ट्रेन के आगे से लोगों का या वाहनों का गुज़रना उस मज़ेदार अनुभव को तो इसमें बैठकर करके ही जाना जा सकता है." ------और आताताइयों ने इस ट्रेन को भी जला दिया था।

तब घूम स्टेशन पर खड़े वे कितना इतराये थे कि भारत के सबसे ऊँचे रेलवे स्टेशन पर खड़े हैं। उसे मुस्काराती शॉल बेचती हष्ट पुष्ट गोरी स्त्रियां व टेक्सी स्टेण्ड पर यात्रियों से मोल भाव करते गोरे तंदरुस्त टेक्सी ड्राइवर्स कितने लुभावने लग रहे थे। ऐसा लग रहा था इन लोगों की डिक्शनरी में `दुःख `शब्द है ही नहीं। दुख तो वर्षों पहले ही इसके पर्वतों, घाटियों में बतासिया लूप जैसा टेढ़ा मेढ़ा फूट चुका था--- बंदूकों की धाँय धाँय से बॉम्ब ब्लास्ट से, `वी वांट गोरखालैण्ड `के नारों से। बीच के वर्षों में दार्जिलिंग में शांति थी. इसलिए उन लोगों ने घूमने का कार्यक्रम बनाया था और बिना स्थानीय समस्या में अपनी नाक घुसाए, जाने वहां की ठंडी हवाओं में बसी पहाड़ी, नीचे दिखाई देती हरी भरी घाटी की खूबसूरती को मन में समाये स्वार्थी पर्यटकों की तरह लौट लिए थे लेकिन सामने खड़ी थी वहां की वही उलझनें ---मीरा के रूप में।

सेवन सिस्टर्स की पहाड़ी श्रंखला, अनजाने पौधों से लदी घाटियों की सुंदरता कितना लुभाती है दुनिया को और कुछ बन जाने का सपना लेकर जब यहां के युवा अपने पहाड़ों से उतरते हैं तो क्या सबको उनका पूरा सपना मिल पाता है ? अपने देश के हिस्से में वे सौतेलों की तरह माने जाते हैं। अहमदाबाद में जिम से लौटते हुए कितनी बार मोटा काजल, गहरी लिपस्टिक लगाये, जींस पहने, गले में लपेटे चटकीले स्टॉल्स में गोरी गडबदी उत्तर पूर्व की लड़कियों को किसी दादा टाईप आदमी के पीछे कार से उतरते सहमे हुए चलते देखा है. यदि लिफ़्ट मे मिलीं हैं तो उनकी घबराई हुई मासूमियत से सोच नहीं पाती शिकायत करे तो किसकी, किससे और कहाँ ?सभी जानते हैं इस इमारत में बड़ी कंपनियों के ऑफ़िस हैं या करोड़ों के फ़्लेट्स में लोग रह रहे हैं। उसका दिल भर आता है कैसे सन २०१४ में अरुणाचल प्रदेश के विधायक का बेटा नीडो सपने लेकर देल्ही आया था। लाजपत नगर के बाज़ार में गुंडे लड़कों द्वारा पीट पीट कर मार दिया गया था ।

इस उलझन को थोड़ा दूर किया गाती हुई रिकॉर्डेड आवाज़ ने,"हैपी बर्थ डे टु यू---हैपी बर्थ डे टु यू." उसने सिर घुमाकर देखा पीछे की टेबल पर आठ दस लोगों का परिवार दस बारह वर्ष की लड़की का बर्थ डे मनाने आया था। लड़की क्लब की तरफ़ से दिया केक काट रही थी व क्लब का फ़ोटोग्राफर इनकी फ़ोटो ले रहा था. ये इन सस्ते क्लबों की मेहरबानी है जो मामूली परिवार भी रिजॉर्ट्स में बर्थ डे मना सकते हैं। केक काटने के बाद की तालियों की आवाज़ से उसकी तंद्रा टूटती है।

सुबह नाश्ते के समय डाइनिंग होल के बीच मे बने फुव्वारे के पास वाली टेबल पर एक कन्नड़ परिवार बात करता हुआ बिसीबेली भात व इडली खाते हुए बातों में मशग़ूल है। वे लोग उस मेज़ को चुनते हैं जहां से स्वीमिंग पूल दिखाई दे रहा है। उसके पास वाला कृत्रिम पहाड़ दिखाई दे रहा है जिसके बीच में से झरते झरने लुभावने लग रहे हैं। मीरा ऑर्डर बुक लिये हाज़िर है,"गुडमॉर्निंग एव्रीबडी।"

नाश्ता करने के बाद सारा परिवार स्वीमिंग पूल चला गया है। ऑर्डर बुक पर साइन करती उसे मीरा लगभग घेर लेती है,"मेम ! ब्रेकफ़ास्ट कैसा था ?कुछ मिश्टेक हो तो टेल मी."

"सब बहुत अच्छा था।"

"यू नो मेम मैं मुस्लिम हूँ।"

"लेकिन मीरा ----?"

"मीरा नाम मेरे बाबा ने रक्खा था। उन का नाम है अज़ीमुल्ला।वो रोज़ मुझे अपने साथ एक ही थाली में खाना खिलाते थे। मैं स्कूल में बास्केट बॉल चैम्पियन थी। मैंने और मेरे छोटे भाई ने दार्जिलिंग से होटल मैनेजमेंट किया। वो अभी नौकरी ढूंढ़ रहा है. मेरी तो परते परते मुनार स्टर्लिंग होटल मे नौकरी लग गई थी। मेरे दो और छोटे छोटे भाई हैं। आपने दार्जिलिंग की किम्पोंग फ़्लोरिस्ट का नाम सुना होगा ?----नहीं सुना ?--वो उदर बहुत फेमस है। यू नो, आजकल लोगों के पास पैसा आ गया है लोग हज़ार हज़ार के बुके दूसरे शहर ऑनलाइन भेजता है। बर्थडे हो साथ में चॉकलेट्स या केक डेल्ही, कोलकता, मुंबई और सिटीज़ में भिजवाता है। मेरा बाबा इसी फ़्लोरिस्ट की फ्लोरल नर्सरी में काम करता है। तरह तरह के असोनिया फ्लॉवर उगाता है --- वाइट, रेड, मेजेंटा, येलो, कोई कोई दो कलर का भी होता है। इन्हें देखकर लगता है जैसे छोटे छोटे सितारे ज़मीन पर उग आये हों।बाबा मेरे को प्यार करते हुए कहता था कि तू तो मेरा सोनिया फ्लॉवर है। यू नो, खेती में कितना कम पैसा होता है। मुझे बहुत सा पैसा कमाना है। मेरे को उन को भी देखना है।".

"ओ ---दार्जिलिंग से एकदम मुनार ---केम्पस इंटर्व्यू में सेलेक्शन हो गया होगा ?"

"नहीं, वो लोग कम्प्युटर पर इंटरव्यू लिया। हम चार छोकरी लोग सेलेक्शन के बाद मुनार गया। यू नो लरकी लोग जब बाहर निकलती है तो कितना कितना खराब खराब एक्सपीरिएंस होता है।तो दो लरकी लोग तो घबराकर होटल नौकरी छोड़ कर घर भाग गया. मैडम ! असोनिया फ़्लोवर को उखार कर इदर मैदानों में लगाओ तो रो परे, उतना नहीं खिले। हम पहारी लरकियाँ उदर का असोनिया फूल होतीं हैं। दूसरी लरकी को मैंने सपोर्ट किया तो वो मेरे को उदर से उखारने लगा। मैनेजर मेरे को मानता था, उसने मुझे कोडाईकेनॉल स्टर्लिंग में भिजवा दिया। उदर मेरी एक दोस्त बनी तो मैनेजर उसे निकाल दिया और मेरा भी मन खराब हो गया. बाद में मैं इस क्लब में चली आई, मैं बाबा को एक दिन कुछ बनकर दिखाऊंगी ।".

मेहनतकश मीरा की आँखों में बात करते करते सपनों की कतारों की झिलमिलाहट से वह क्यों सहम रही है ? मन ही मन उसके लिये दुआ करने लगती है.

हॉल में सफ़ाई की गहमागहमी चल रही है क्योंकि किसी कन्नड़ परिवार ने नए शादीशुदा जोड़े का रिसेप्शन रक्खा है। स्वीमिंग पूल में मस्ती करके, कम्पाउंड में घूम घामकर वे लौट रहें हैं।भूख हलकी ही है लेकिन रिसेप्शन से पता लगता है कि लंच का पूरा पैकेज लेना होगा। बाप रे ---इतना खायेगा कौन ?

वह मीरा को खोजने चल देती है। वह ऑफ़िस में मैनेजर से कुछ आज की लंच पार्टी के निदेश ले रही है। उसे देखकर मैनेजर व वह उसका अभिवादन करतें हैं । वह कहती है,"मीरा !तुमसे कुछ बात करनी है।"

" मेरा काम हो गया है, चलिए हम लोग डाइनिंग हॉल में चलते हैं।"

वे दोनों कॉरीडोर में चले जा रहें हैं। वह कुछ कहे उससे पहले ही मीरा बोल उठती है,"मैडम !कल हम तुमको झूठ बोला था। उदर कोडाईकेनॉल स्टर्लिंग में हमारा एक लरकी के कारण नहीं, एक लरके के कारन दिल ख़राब हो गया था. उदर कुछ लोग पास में थे इसलिए सच बता नहीं पाई।"

"बात कुछ और थी ?"

"यस मेम ! बरा सिटी में कितना मंहगाई है। हम दार्जिलिंग का आठ दस लरका, लड़की लोग एक कमरा किराए पर लेकर रहता है। यू नो लरका लरकी लोग एक साथ रहेगा तो कुछ तो होगा ही। मुझे लगा कि मेरा पार्ट्नर मुझसे सादी बनाएगा लेकिन वो दार्जिलिंग से कम उम्र की लड़की के आते ही उसका पार्टनर बन गया।"कहते हुए उसकी ऑंखें झिलमिला आईं। वह आश्चर्य में भर गई कि वह उसकी कौन लगती है जो वह अपनी इतनी निजी बात बताये जा रही है--ओ ---कितना ज़रूरी होता है अपने पास फैला हुआ समाज जिसके कंधे पर सर रखकर हम अपने दुःख रो सकें। कितना कुछ भरा होगा मीरा के दिल में अपने परिवार, अपने समाज से दूर होंठ सीए हुए मशीन की तरह काम और काम करते जाना।

बिलकुल चलती फिरती मशीन की तरह वह अपने आंसू पोंछ लेती है और मुस्तैद होकर पूछती है,"पता नहीं कैसे आप मैडम नहीं अपनी आंटी लग रहीं हैं. मैं कुछ न कुछ बोले जा रहीं हूँ।"

"नेवरमाइण्ड मीरा !`

"आप मुझे क्यों खोज रही थीं ?`

"ऐसा है हम लोगों ने हैवी ब्रेकफ़ास्ट कर लिया है। ये पैकेज लंच खा ही नहीं सकते।"

"हम लोग इदर लंच के अलावा कुछ और सर्व नहीं कर सकते." चलते चलते डाइनिंग हॉल भी आ गया है।

"राइस कर्ड तो मिला सकता है ?"

"ऐसे तो बिरियानी भी बना है। वह भी कर्ड के साथ सर्व कर सकतें हैं।लेकिन आप लोग इदर बैठकर खा नहीं सकते। आपके रूम में भिजवा सकतीं हूँ."

"ओ. के। हम लोग रूम में ही जा रहे हैं।"

" चलिए काउंटर पर चलते हैं। आप लोग मुझे ऑर्डर दीजिये मैं आपके रूम में पहुंचवाती हूँ।" मीरा फिर काउंटर पर खड़े लड़के से कहती है,"तुम इनका फ़ौरन ऑर्डर लिख लो। इनके रूम नम्बर दो सौ पाँच में पहुँचाना है। इस मेरिज पार्टी में लोग पूरी के लिए हल्ला कर रहे हैं। मैं किचेन में पूरी बेलने जा रहीं हूँ।"

उसका सिर घूम गया क्या क्या कर रही है ये लड़की --हाउस कीपिंग, खाने का ऑर्डर लेना, कभी माली को डाँटना, कभी टूरिस्ट के साथ डांस करना -----और जिस सहज भाव से रिसेपशन पर हिसाब किताब देखती है उसी तरह वह रसोई की तरफ़ पूरी बेलने भाग गई।

***